समर्थ साहेब नेवल दास की सिद्धि
समर्थ साहेब नेवल दास को धर्मे धाम में रहते हुए काफी दिन बीत गए थे साहेब दूलन दास का अपार प्रेम व स्नेह गुरु के प्रति समर्पण गुरु चिंतन दीन दुखियों की सेवा समाज व धर्म विषयक बातें साहेब नेवल दास को बांधे रखती थी नित्य की भांति आज भी दोनों संतों ने शिष्यों के साथ कर्म दही सागर में जाकर स्नान किया किंतु आज साहेब दूलन दास ने अंजलि में जल भर भर कर उलचना शुरू किया कौतूहल बस साहब नेवल दास ने प्रश्न किया कि आज यह आप क्या कर रहे हैं तो समर्थ साहेब दूलन दास ने बताया कि आपके (साहेब नेवल दास के) घर में आग लगी है वही बुझा रहा था साहेब नेवल दास का गांव उमापुर धर्मे धाम से 75 किलोमीटर दूर था सत्य जानने के लिए साहब नेवल दास अपने घर आए तब गांव के लोगों ने बताया कि हां आग की लपटों ने पूरे घर को चारों तरफ से घेर लिया था किंतु अचानक से हुई तेज बारिश के झोंके ने सब शांत कर दिया घटना को सत्य पाया अब उन्हे स्वयं पर अधिक ग्लानि होने लगी आपने तत्काल जाकर कोटवन मे समर्थ जगजीवन दास से प्रार्थना की कि क्या आपने बाबा दूलन दास को और मुझे अलग -2 मंत्र दिया है क्योकि बाबा दूलन दास के पास सभी सिद्धियां है पर मै अभी भी अन्ध कार मे हॅू मुझ पर कृपा कीजिये।
समर्थ साहेब जग जीवन दास ने हंसकर कहा दोनेा का एक ही मंत्र है वही सबका मंत्र है। तल्लीनता से करो तब श्री नेवलदास ने तालाब मे तखत डालकर तीन दिन रात निरंतर जाप किया तथा सिद्धियां प्रत्यक्ष हो गई। सिद्धि प्राप्ति के पश्चात बाबा नेवल दास के मन मे महा वैराग्य् उत्पन्न हुआ तथा आप ईश्वरीय आनंद मे मग्न हो गोमती नदी के किनारे कठिन तप करने चले गये।
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