फैजाबाद के उमापुर में समर्थ साहेब नेवल दास रहा करते थे समर्थ साहेब नेवल दास जी समर्थ साईं जगजीवन दास के प्रिय शिष्यों में थे एवं साहेब नेवल दास जी उच्च घराने के प्रसिद्ध ज्योतिषी शास्त्रज्ञ एवं साहित्यकार थे कहते हैं कि साहेब नेवल दास ने नाम दीक्षा लेने के पहले ही काशी नरेश के यहां आयोजित होने वाले शास्त्रार्थ प्रतियोगिताओं में तीन बार स्वर्ण पदक जीता था गुरु भाइयों में विशेष प्रेम व स्नेह होने के कारण प्राय: एक संत दूसरे संतों के पास आया जाया करते थे संयोगवश साहेब नेवल दास का धर्मे धाम में आना हुआ उन दिनों प्रयाग का मेला चल रहा था लोग झुंड के झुंड दर्शनो के लिये जा रहे थे। आपने श्री दूलन दास के सामने प्रयाग राज की महिमा गान की और साथ चलकर वहां स्नान की इच्छा जताई। श्री दूलनदास ने समझाया वह ईश्वर कन -2 मे घट-2 मे और समस्त जड. चेतन मे व्याप्त है। किन्तु परम ज्ञानी नेवलदास सहज ही कहॉ विश्वास करने वाले थे जब तक स्वयं न देख लेते। अत: अनुनय विनय करने लगे।
तब श्री दूलनदास ने मिट्टी का ढेला उठाते हुये कहा ‘यह भी ब्रम्हरूप है यह जहॉ गिरेगा वह भी ब्रम्हरूप है। यदि मेरे समर्थ सद्गुरू की वाणी सत्य है कि ईश्वर घट-2 वासी है। यदि यह सत्य है कि ईश्वर कण-कण मे है तो हे प्रयाग राज मेरा अनुरोध स्वीकार कर अपने भक्तो के उद्धार के लिये यही अवतरित हो’ यह कहकर ढेला सामने ही रख दिया तत्काल ही धरती से तीव्र जलधारा फूट पडी । दूलन दास प्रेम भक्ति , से ओत प्रोत हो गये और श्री नेवलदास के आश्चर्य का ठिकाना ना रहा ।तत् पश्चात सन्त् दूलन दास की प्रार्थना से प्रयाग राज ने वहीं रहकर भक्तों का उद्धार व पाप नाश करने का बचन दिया एवं वह कुण्ड कर्म दही के नाम से बिख्यात हुआ
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