समर्थ साहेब दूलन दास के इकलौते पुत्र श्री राम बक्स दास साहेब हुए साहेब राम बक्सदास जी जन्मजात सिद्ध संत थे कहते हैं वह छोटे बच्चों के साथ खेल खेल में ही मिट्टी की चिड़िया बनाकर आकाश में उड़ा देते थे जब इस बात की सूचना समर्थ साहेब दूलन दास को लगी तो समर्थ साहेब दूलन दास ने साहिब राम वख्श दास जी को बुलाकर ऐसा कभी ना करने का संकल्प दिलाया और उन्हें उपदेश दिया कि समस्त सिद्धियां या ईश्वरीय लीलाएं इस तरह से खेल खेल में प्रयुक्त करने के लिए नहीं होती ईश्वरीय लीलाओं का प्रयोग सिर्फ लोक कल्याण और समाज के हितार्थ ही करना चाहिए 90 वर्ष की अवस्था में समर्थ साहिब राम बक्सदास जी सतलोक लीन हुए इसके पश्चात साहेब बरतबली (ब्रत बली) जी धर्मे धाम के महंत हुए साहेब बरतबली भी गृहस्थी में रहकर नित्य प्रति 25 संतों के साथ ही प्रसाद ग्रहण करते थे यह आपका नित्य का नियम था जो साहेब बरत बली जी ने आजीवन बखूबी निभाया था बरत बली साहेब के सतलोक लीन होने पर साहेब जगजीवन प्रसाद जीने महंती का कार्यभार संभाला तत्पश्चात पांचवी पीढ़ी में साहेब भगवान दास जी और छठवें पीढ़ी में साहेब नारायण दास जी हुए जो सन् 1978 ईस्वी में सतलोक लीन हुए वर्तमान समय में इन्हीं साहब की दो पुत्रियां बिमला दास व स्वर्गीय उर्मिला दास और दामाद माननीय राम किशोर दास स्वर्गीय सत्य नारायण दास भदोरिया साहब के जेष्ठ पुत्र माननीय तेज प्रताप दास धर्मे धाम में वर्तमान समय में गद्दी का कार्यभार संभाले हुए हैं
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