卍 ॐ दूलन नमो नमः श्री दुलारे नमो नमः | साहेब दूलन नमो नमः जगजीवन प्यारे नमो नमः|| 卍

Wednesday, March 20, 2019

कीर्ति गाथा 16

          समर्थ साईं जगजीवन दास साहेब जब सतलोक लीन हुए तब उस समय संयोग बस साहेब दूलन दास नहीं पहुंच पाए अतः अंतिम दर्शन नहीं हो सका कुछ दिन पहले ही साहेब दूलन दास जी शिष्यों के साथ समर्थ साईं जगजीवन दास साहेब के दर्शन हेतु  निकले थे परंतु समर्थ साईं जगजीवन दास ने संदेशवाहक को भेजकर कहला दिया के मुझ में तुम में कोई भेद नहीं कोई अंतर नहीं अत: वापस लौट जाओ और घर से ही ध्यान सुमिरन करो और संप्रदाय संभालो अतः साहब दूलन दास आधे रास्ते से ही वापस आ गए थे पर समर्थ साईं के सतलोक लीन होने का समाचार सुनते ही सन्न रह गए आनन फानन में सब कुछ छोड़ कर रोते बिलखते कोटवा धाम पहुंचे और समर्थ साईं जगजीवन दास की समाधि पकड़कर रोने लगे तब समर्थ साहेब जगजीवन दास जी प्रकट हुए और उन्हें उपदेश आदि  करते हुए धैर्य बंधाया और भक्तों के रक्षार्थ भी उपदेश दिया और शांत चित्त होकर धैर्य पूर्वक घर वापस जाने के लिए कहा समर्थ  साहेब जगजीवन दास का आदेश मानकर साहब दूलन दास धर्मे धाम वापस आ गए एक  दिन ध्यान सुमिरन के समय समर्थ साईं जगजीवनदास दंडी स्वामी के रूप में प्रकट हुए तब साहेब दूलन दास ने पहचान कर चरण वंदना करते हुए विचित्र वेशभूषा  के बारे में पूछा तब समर्थ  साहब ने दूलनदास ने कहा यह सब तो भक्तों के लिए करना ही पड़ता है पर आप सतनाम पंथ के वेशभूषा और भक्तों की रक्षा करना अब संप्रदाय के कर्ताधर्ता और संप्रदाय को संभालने वाले आप ही हो ""भक्ति भाव बस जगजीवन दूलन का बर दीन्ह  अपने भेष अरू पंथ का मालिक तुम कहं कीन्ह ""

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