संपूर्ण परिवार के नष्ट हो जाने पर भी आपने नाम उपासना का त्याग नहीं किया और सदैव ही नाम जप में लगे रहे और कुटिया में बांधी गई हड्डियां मांस पंखा आदि को फिंकवा कर कुटिया साफ कराई और गंगाजल आदि का छिड़काव कर भंडारे का आयोजन किया परंतु पुनः वही समस्या इस बार भंडारे में सभी ब्राह्मण पंगत में बैठे थे सभी एक दूसरे का मुंह ताक रहे थे संभवत मानसिक तौर पर कोई भोजन के लिए तैयार ना था समर्थ श्री जगजीवन दास भी जरौली पधारे थे अतः मौन तोड़ते हुए समर्थ साई जगजीवन दास ने कहा"" साहेब प्यारे दास सभी पंडित लोग आप से ब्राह्मण होने का प्रमाण मांग रहे हैं अरे यह लोग ब्राह्मण हैं मुसलमान के यहां कैसे भोजन कर सकते हैं इन्हें ब्रांम्हण होने का प्रमाण दो पियारेदास "" प्यारे दास नतमस्तक हुए और पुन: सभा की ओर मुंह कर खड़े होते हुए दाएं हाथ से बाएं कंधे का स्पर्श करते हुए जनेऊ पकड़ने की भांति नीचे की ओर हाथ को खींच दिया कहते हैं समर्थ साहेब प्यारे दास के उस दिव्य और अलौकिक स्वरूप का वर्णन नहीं किया जा सकता स्वर्ण से बनी अलौकिक दिव्य जनेऊ मुखमंडल पर अलौकिक तेज पुंज जैसे ईश्वर स्वयं पृथ्वी पर उतर आया हो सभी ब्राह्मण समाज समर्थ साहेब पियारे दास का जयकारा लगाते हुए भंडारे का प्रसाद ग्रहण करने लगे आज भी ऐसी मान्यता है कि जो भी अल्लाह अलख में भेद किए बगैर समर्थ साहेब पियारे दास के जरौली धाम में दर्शन हेतु जाता है उसके मन की सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं
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