समर्थ साहेब दूलन दास का नित्य का नियम बन गया था वह अपने भक्तों के साथ जाकर कर्म दही में स्नान करते थे एक बार की बात है कि समर्थ साहेब दूलन दास अपने भक्तों के साथ कर्म दही सागर में स्नान करने गए हुए थे वहीं पर गांव के भी कुछ लोग इकट्ठे हुए थे जो कुछ ही दूर पर आपस में हास परिहास में लगे थे साहेब दूलन दास का एक भक्त दातुन तोड़ने गया तो उन लोगों ने आपस में कहना शुरू किया कि सुनते हैं कर्म दही में स्नान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं तभी दूसरे व्यक्ति ने उपहास उड़ाते हुए कहा कि यह सब बातें कोरी अफवाह है मैं इन सुनी सुनाई बातों पर विश्वास नहीं करता यदि कर्म दही इतनी ही पापनाशिनी है तो इस गधे के पापों का नाश कर इसे अश्व में परिवर्तित कर दे तो मैं मानूं उसने पास में ही घास खा रहे एक गधे की तरफ इशारा करते हुए कहा व्यंग कुतर्क और मूर्खतापूर्ण यह बातें साहेब दूलन दास का भक्त सुन रहा था साहेब दूलन दास के हाथों में दातुन देते हुए उसने निवेदन किया की साहब आप भक्तों के उद्धार के लिए उनके कष्टों के निवारण के लिए सदैव ही चिंतित रहते हो आपसे किसी का कष्ट तनिक भी नहीं देखा जाता परंतु लोग उपहास और कुतर्क करने से बाज नहीं आते साहेब के पूछने पर उसने पूरी वार्ता ज्यों की त्यों कह सुनाई भक्तों को लगा शायद साहब दूलन दास क्रोधित होंगे परंतु साहिब दूलन दास मुस्कुराने लगे और बोले जाकर उससे कह दो यह जगजीवनी सतनाम है यह तर्कों से परे है गधे को कर्म नदी में स्नान कराकर परीक्षा कर ले साहेब का भक्त पुनः उन लोगों के पास गया और बोला कि साहेब दूलन दास ने कहा है कि साहस है तो गधे को नहला कर परीक्षा कर लो फिर क्या था कई लोगों ने मिलकर गधे को कर्म दही में हांक दिया और प्रतीक्षा करने लगे कि आज तो वे साईं दूलन दास को पाखंडी साबित करके ही रहेंगे पर उनकी सोच से अलग अप्रत्याशित घटना घट गई वह गधा अश्व में परिवर्तित हो चुका था इतना बड़ा चमत्कार देख कर निंदकों को स्वयं की आंखों पर भरोसा नहीं हो पा रहा था और उन्हें अपनी कुतर्क और व्यंग पूर्ण बातों पर ग्लानि महसूस होने लगी उन लोगों ने साहेब दूलन दास से अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना की साहेब दूलन दास ने उन्हें क्षमा करते हुए सतनाम भक्ति का उपदेश दिया
सादर बंदगी
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