कीर्ति गाथा
श्री समर्थ साहेब दूलन दास जी के पिता का नाम श्री रायसिंह था तथा आप के चार भाई थे सबसे बड़े भाई का नाम (1) श्री कौशल सिंह (2) श्री प्रीतम सिंह (3) भीष्म सिंह (4) समर्थ साहेब दूलन दास सबसे छोटे भाई थे बड़े भाई कौशल सिंह तिलोई नरेश के यहां उच्च पद पर कार्यरत थे कौशल सिंह की इमानदारी और कार्यकुशलता से प्रसन्न तिलोई नरेश ने 100 बीघा जमीन दान की थी जहां पर आज घर्में धाम स्थित है युवावस्था में साहेब दूलन दास कुंडा नरेश के यहां उच्च पदासीन एवं राजा के विश्वसनीय सदस्यों में परिवार की भांति रहा करते थे एक बार शत्रु राजा के आक्रमण करने पर गोंडा नरेश को जान बचाने के लिए अन्यत्र शरण लेनी पड़ी राजमहल को शत्रु सेना ने घेर लिया बचने का कोई रास्ता ना देख महारानी ने दूलन दास जी से प्रार्थना की और कहा अब आप ही कुछ कर सकते हैं अन्यथा मुझे जौहर के अतिरिक्त अन्य कोई मार्ग नजर नहीं आ रहा है अतः साहेब दूलन दास गुप्त मार्ग से महारानी को लेकर महल से निकले पर मार्ग में सरयू नदी उफान पर थी और कोई नाव नही थी महारानी ने कहा अब तो शत्रु सेना अवश्य ही पीछा करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लेगी परंतु साहेब दूलन दास ने सरयू नदी से प्रार्थना की और तक्षण ही नदी का पानी सूख गया महारानी 6 माह से अधिक सैम्बसी में निवास कर सुरक्षित रही और युद्ध विराम के बाद वापस जाकर महाराज को दूलन दास की अध्यात्मिक शक्तियों व सिद्धियों का गुणगान महाराज से किया
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